गांजे से डी-एडिक्शन
आज हमारे देश में जितना ज्यादा गांजे (जिसको बोल-चाल की भाषा में वीड भी कहा जाता है) का चलन पिछले दशक के मुकाबले अगर तुलनात्मक तौर पर देखा जाये तो उसमें बहुत तेजी से इजाफा हो रहा है। गांजे का नशा स्कूलों, कॉलेज, गाँव, शहर सब जगह पहुँच गया है और ये अवैध होने के बावजूद काफी आसानी से उप्लब्ध हो जाता है। बहुत से लोग गांजे के प्रयोग को लेकर गलत धारणाओं को मानते हैं खासकर पश्चिमी (वेस्ट) संस्कृति के प्रभाव में आकर। गांजे के उपयोग को लेकर उनका मानना होता है कि ये एक नुक्सान न पहुँचाने वाला, आनंदप्रद ड्रग है जिसके कई सारे दवाईयों (मेडिसिनल) के भी गुण होते हैं। जबकि हकिक़त में ये गांजे का नियमित (रेग्युलर) इस्तेमाल इसकी लत लगा देता है और इंसान शारिरिक रुप से इस पर निर्भर हो जाते हैं। जिसके कारण इसके आदि हो चुके इंसान के न केवल स्वास्थ पर प्रभाव पड़ता है बल्कि उसके जिन्दगी के तमाम पहलू इससे प्रभावित होते हैं।
गांजे के एडिक्शन से छुटकारा पाया जा सकता है पर ये पूरी प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है पर एक विस्तृत ढंग से इस पूरी प्रक्रिया को किया जाये तो ये संभव है।
गांजे से डीएडिक्शन की दिशा में सबसे पहला कदम, किसी भी इंसान का ये होना चाहिये की उस इंसान को इस बात का अच्छी तरह एहसास होना चाहिये की उसकी समस्याओं की जड़ गांजे का एडिक्शन ही है और वो उससे छॉ कारा पाने के लिये मदद लेने को तैयार है। ये बात जितनी सरल समझ में आती है असलियत में यही सबसे मुश्किल कदम है जो हर एडिक्ट लेने से कतराता है या उस फैसलै पर अडिग नहीं रह पाता है। ये कदम मुश्किल तो है पर सबसे ज्यादा जरुरी भी है। जब इंसान ये निर्णय कर लेता है उसके बाद अपना डीएडिक्शन का लक्ष्य हासिल करने के लिये एक प्लान तैयार कर सकता है।
इसके बाद बारी आती है शरीर के डीटॉक्सिफिकेशन की, जिसको हम दुसरा कदम कह सकते हैं। इसके के लिये इंसान को को गांजे का सेवन पूरी तरह से बंद करना पड़ेगा और अपने शरीर को नेचुरली डीटॉक्सिफाई होने का मौका देना पड़ेगा। डीटॉक्सिफिकेशन का मतलब है शरीर से गांजे के सारे केमिकल्स का निकलना। ऐसा करना सबसे मुश्किल होता है और यह डीटॉक्सिफिकेशन का कदम ही सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि एकदम से गांजे का सेवन बंद करने से विथड्रॉवल के लक्षण दिशाई देने लगते हैं जैसे नींद न आना, चिढ़-चिढ़ापन, अवसाद और बैचेनी। इन सबका होना बहुत आम है क्योंकि गांजे का नियमित सेवन हमारे शरीर को गांजे पर निर्भर कर देता है, ऐसे में एकदम से बंद कर देने पर हमारे शरीर को कुछ तकलीफें तो झेलनी होगी पर इस दौरान इन शारिरिक कष्टों से निपटने के लिये हम नशा मुक्ति केंद्रों का सहारा ले सकते हैं जहँ हमे इन तकलीफों को मैनेज करने के लिये विषेशज्ञों की निगरानी में दवाईयों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
डीटॉक्सिफिकेशन को बाद, गांजे की लत से छुटकारे के लिये थैरेपी की भी महत्वपूर्ण भुमिका होती है। सी.बी.टी (cognitive behavior therapy) एक बहुत आम थैरिपी है जो की डीएडिक्शन में इस्तेमाल की जाती है। इस थैरेपी में इंसान अपने भीतर के नकारात्मक सोच आने के कारणों को पहचानते हैं और फिर उसमें बदलाव करते हैं, जो कहीं न कहीं एडिक्शन को बढ़ावा दे रही होती हैं। इसके साथ ये थैरेपीयाँ इंसान को तनाव झेलने के लिये और तलब बर्दाशत करने के लिये भी तैयार करती हैं।
इसके साथ ही डीएडिकशन के लिये हम मोटिवेशनल कांउसलिंग का सहारा भी लेते हैं जिससे इंसान का उत्साह डीएडिक्शन की दिशा में बना रहे, डीएडिक्शन की पूरी प्रक्रिया के दौरान इंसान का शरिर और दिमाग दोनो ही बदलाव की पिरिस्थितियों से गुजरते है इसलिये ऐसे में इंसान का हौसला बना रहना बहुत जरुरी हो जाता है खासकर गांजा पूरी तरह से छोड़ देने के प्रति। सपोर्ट ग्रुप्स, जैसे कि एम.ए (marijuana anonymous), रिकवरी कर रहे इंसानो के लिए सहायक भी हो सकते हैं, क्योंकि वे अनुभवों को साझा करने और रणनीतियों का मुकाबला करने के लिए एक सहायक और अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
थैरेपी के साथ हमारी जीवनशैली में बदलाव भी गांजे से डीएडिक्शन में एक बड़ी भुमिका निभाते हैं। व्ययाम, सही खान-पान, योगा, ध्यान जैसी गतिविधियां न केवल हमारे शरीर और मन को स्वस्थ बनाती है बल्कि साथ ही में हमारे रिलेप्स (फिर से नशा करने की परिस्थिति) होने की संभावना को भी कम करती हैं।
इसको अगर आप इसको संक्षेप में समझें तो गांजे से डीएक्शन की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है मगर हम कई तरह के माध्यमों से और एक पक्के संकल्प से गांजे से डीएडिक्शन प्राप्त किया जा सकता है। समस्या को पहचान लोना और मदद लेने का फैसला करना सबसे पहला कदम है, इसके बाद डिटॉक्सिफिकेशन, थैरेपी, सपोर्ट ग्रुप और जीवनशैली में बदलाव आते हैं। गांजे से डीएडिक्शन पूरी तरह से पाया जा सकता है जिससे हर एक इंसान जो इसके ऐडिक्शन का शिकार है वो एक स्वस्थ और भरा-पूरा जीवन जी सकता है।