नशे का इलाज कैसे कराएँ

आज के समय में ज्यादातर लोग नशा करने वाले इंसान को एक बुरा इंसान समझते हैं, वह नशा करने को इंसान की व्यक्तिगत् बुराई समझते हैं। केवल हमारे समाज में 15 प्रतिशत लोगों को ही इस बात की समझ या जानकारी है कि नशे की आदत भी एक बिमारी है और किसी और बिमारी की तरह इसका भी ठीक से इलाज जरुरी है। W.H.O ने सन् 1987 में एडिक्शन को रुप से एक बिमारी का दर्जा दिया है। सबसे पहले हमें ये समझना होगा की कोई भी व्यक्ति इस एडिक्शन नाम की बिमारी का शिकार होने के लिये नशा नहीं करता हर व्यक्ति या तो मजे के लिये, जिज्ञासा के कारण या फिर किसी की देखा-देखी नशे की शुरुआत करता है। पर चाहे जो कोई भी नशा क्यों न हो, वो एडिक्टिव होता ही है। देर-सवेर व्यक्ति उसका आदि हो ही जाता है इसलिये आप संकेतो को समझें और देरी न करते हुए इस बिमारी का इलाज करवाएँ।  

अब सवाल ये उठता है कि नशे का इलाज कैसे करवाऐं, नशे की आदत या एडिक्शन के कई चरण होते हैं पर इतना जानना सभी के लिये जरुरी है कि नशे का इलाज करने में जितनी देरी होगी उतना ही ज्यादा समय उससे उभरने के लिये लगेगा। 

नशे के इलाज में सबसे ज्यादा जरुरी होता है पूरी तरह से खुद को नशा मुक्त रख पाना। कई बार इंसान को एहसास हो जाता है की वो एडिक्शन का शिकार हो चुका है पर वह किसी प्रोफेशनल की मदद लेने से हिचकिचाता है और खुद ही उस पर नियंत्रण करने की कोशिश करता है। सबसे पहला काम इंसान अक्सर ये करता है कि वह नशा करना बंद कर देता है या  कम मात्रा में लेने लगता है। ये दोनो ही अवस्था 90 प्रतिशत लोगों की ज्यादा दिन तक नहीं चल पाती, देर-सबेर स्थिति जस की तस बन जाती है।

नशे का इलाज का सबसे अच्छा और कारगर तरीका है कि इंसान को या इंसान के लिये उसके घरवालों को एक प्रतिष्ठित नशा मुक्ति केंद्र / रीहैबिलेशन सेंटर से संपर्क कर के अपनी समस्या के बारे में परामर्श करना चाहिये। नशा मुक्ति केंद्र में चरणबध्य तरीके से इलाज होता है तथा मरीज की काउंसलिंग भी की जाती है ताकी इलाज सफलतापूर्वक हो सके।

नशा मुक्ति केंद्र में सबसे पहले मरीज को डी-टॉक्सिफिकेशन के चरण से गुजरना होता है। नशे के इलाज में ये चरण सबसे कठिनाई भरा होता है किसी भी एडिक्ट के लिये, क्योंकि नशा एकदम से छोड़ने पर इंसान को अनेक प्रकार की शारिरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि नशा करने वाले इंसान का शरीर नशे की वस्तु पर निर्भर हो जाता है और शरीर को वह वस्तु न मिलने पर अकड़न-जकड़न, सिर दर्द, उल्टी आदि कई तरह की समस्या होने लगती है। नशा मुक्ति केंद्र के स्टाफ के सुपरविजन में यह अवस्था दवाईयों की मदद से निकल जाती है। यही अवस्था बाहर निकालना बहुत मुश्किल होती है, क्योंकि नशे को एकदम से छोड़ देने से विथड्रॉवल की तिव्रता इतनी तेज होती है कि इंसान वापस नशे की तरफ चला जाता है। इसके साथ ही थैरिपी और काउंसलिंग भी बहुत मददगार साबित होती है।

सबसे पहले अगर आपको हल्का सा भी लग रहा है कि आप या आपके परिवार में किसी को एडिक्शन की समस्या है तो आपको नशा मुक्ति केंद्र से परामर्श लेना चाहिये। इस को पहचानने में आप जितनी देरी करेंगे उतना ही समय निराकरण करने में ज्यादा लगेगा क्योंकि उतनी ही समस्या गंभीर हो जायेगी और परिणाम स्वरुप उपचार में लगने वाला समय तथा जटिलता भी बढ़ जायेगी। 

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