रिकवरी में आने वाली चुनौतियां

हमारा सेंटर निदान नशा मुक्ति केंद्र मध्य प्रदेश के सबसे अच्छे सेंटरों में से एक है। हमारा रिकवरी रेट भी अन्य नशा मुक्ति केंद्रों के मुकाबले बेहतर है। हम अपनी सेवाऐं मध्य प्रदेश के सभी जिलों में देते हैं और नि:शुल्क परामर्श भी प्रदान करते हैं। हमारी संस्था नशा मुक्ति के क्षेत्र में 10 वर्षों स कार्य कर रही है, हमारे अध्य्यन और अनुभव से लेख उन सभी के लिये जो नशे के मायाजाल से निकलने का प्रयास कर रहें हैं और उनके लिये भी जिनके अपने रिकवरी के लिये मेहनत कर रहें हैं।

किसी भी व्यक्ति को जो एक सीरियस एडिक्शन के दौर से गुजर रहा हो उसे पननी रिकवरी के लिये हिम्मत और साहस की जरुरत होती है। उसे कदम-कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और इन्हीं का सामना करके वह अपनी इच्छाशक्ति के माध्यम से खुद को रिकवरी के लिये विकसित करता है।

अगर कोई व्यक्ति रिकवरी में है तो उसने सबसे बड़ी बाधा तो पार कर ही ली है, जो की ये मानना की “मैं एडिक्शन में हुँ और मुझे इसके लिये कुछ करना है” सबसे बड़ा कदम है। डीएडिक्शन ट्रीटमेंट में आने के बाद भी सारी मुश्किलें हल नहीं होती इसके आगे भी व्यक्ति को आने वाली चुनौतियों के लिये तैयार रहना चाहिये।

इसके आगे हम बात करते रिकवरी की राह में आने वाली चुनौतियों की, या यह कह लें कि हम बात करेंगे उन परिस्थितीयों की जिससे व्यक्ति की रिकवरी खतरे में पड़ सकती है और वो रिलेप्स हो सकता है। यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण होगा की हर एक व्यक्ति समान नहीं होता और न ही रिकवरी/डीएडिक्शन की प्रक्रिया का असर सब पर एक जैसा होता है। लेकिन यहाँ हम उन चुनौतियों की बात करेंगे जो सभी के लिये आम हैं, ऐसी चुनौतियों का सामना लगभग सभी रिकवरी में आने वाले व्यक्तियों को करना होता है।

  • तनाव और तलब को सफलतापूर्वक झेल पाना।

हर एडिक्ट व्यक्ति के व्यवहार में होता है कि जीवन में किसी भी प्रकार का तनाव या परेशानी आने पर वो नशे की ओर झुकता है, री-हैबसेंटर में इस परिस्थिति का सामना हो जाता है पर असली परिक्षा बाहर की दुनिया में शुरु होती है इसलिये व्यक्ति को री-हैब सेंटर के काउन्सलर तथा अन्य सहयोगी स्टाफ से संपर्क में रहना चाहिये ताकी ऐसी कोई परिस्थिति आने पर वो व्यक्ति को गाइड कर सके। इसके साथ व्यक्ति को किसी परिवार के सदस्य की सहायता मिले, जिससे वह अपनी सारी बात शेयर कर सकता है तो और भी अच्छा है।    

जहाँ तक शारिरिक तलब का सवाल है, वो तो री-हैब सेंटर में रहने के दौरान या डीटॉक्स की अवधि में ही खत्म हो जाती है। इसके बाद बात आती है मानसिक तलब (मेंटल क्रेविंग) की जो अक्सर व्यक्ति पुरानी यादों को लेकर, बहुत खुशी में या बहुत निराश होने पर महसुस करता है। इसमें व्यक्ति को धैर्य बना कर रखना चाहिये, इसमें ध्यान और प्रार्थना का अहम् योगदान होता है जिसका अभ्यास हर रिकवरी में आने वाले व्यक्ति को नियमित रुप से करना चाहिये।   

  • रिश्तों में खटास आना

रिकवरी में रहते व्यक्तियों में अक्सर ये पाया गया है कि उनके पारिवारिक रिश्तों में किसी न किसी प्रकार की खटास आ ही जाती है, भले ही वो किसी एक ही सदस्य से क्यों न हो। ऐसा होने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे कि रिश्ता व्यक्ति जब नशे का आदि हो तब ही खराब हो गये हो मगर एहसास उसको अब हो रहा है, या कुछ ऐसी गलतीयां की हो जिसका उस व्यक्ति को मालूम भी न हो। रिश्तों में कटास आने के बहुत सी वजह हो सकती है पर कोई वजह व्यक्ति को इतनी बड़ी नहीं बननी देनी चाहिये की वह रिलेप्स (फिर से नशा करने) का कारण बन जाये। यहां रिकवरी में आ चुके व्यक्ति को संयम से काम लेना होगा, कभी-कभार सही होते हुऐ भी ताने झेलने होंगे और सबसे ज्यादा जरुरी की व्यक्ति को री-हैब के कांउसलर के साथ संपर्क में रहना होगा ताकी वो आपकी सहायता कर सके। 

  • लक्ष्य को पहचानना

जब व्यक्ति एडिक्शन में होता है तब वो अपनी सारी ऊर्जा, अपना सारा ध्यान अपनी लत को पूरा करने में खर्च करता है, हो सकता है कि उसके और भी कुछ लक्ष्य हों पर वो सब नशे के आगे धूल में मिल जाते हैं। इसके आगे जब व्यक्ति रिकवरी में आता है तो उसका केवल एक लक्ष्य होता है कि व्यक्ति को अब सोबर जीवन जीना है। इसलिये रिकवरी में थोड़ा आत्मविश्वास आने के बाद अक्सर व्यक्ति को एक खालिपन सा लगने लगता है क्योंकि अब उसकी ऊर्जा नशा हासिल करने में नहीं खर्च हो रही है। इसलिये रिकवरी में आने वाले व्यक्ति को अपने परिवार की मदद से, अपने कांउलर की मदद से या अपने स्वयं के विवेक से कोई न कोई लक्ष्य निर्धारित जरुर करना चाहिये ताकी व्यक्ति व्यस्त रहे और उसका धयान नशे की तरफ न भटके। 

  • अकेलापन

जब व्यक्ति री-हैब सेंटर रिकवरी के लिये आता है जो उसका साथ देने के लिये सेंटर का सारा स्टाफ, काउंसलर, और री-हैब सेंटर में इलाज लेने आये अन्य लोगों का साथ होता है। पर जब व्यक्ति अपनाइलाज लेकर वापस दुनिया में कदम रखता है तो वो अपने आप को अक्सर अकेला और दुविधाकी स्थिती में पाता है क्योंकि अब वह पुरानी संगत में जा नहीं सकता क्योंकि उस संगत में नशा है, आगर वो वहां दुबारा जाता है तो उसका रिलेप्स होना लगभग तय होता है। 

यहाँ पर ए.ए/एन.ए जैसी संस्थाएं काम आती है जिनमें रिकवरी में आये हुऐ लोगों की कम्युनिटी मिलती, यहां पर सभी लोगो के जीवन की उतार-चढ़ाव की घटनाओं में काफी समानताएं होती हैं और एक सपोर्ट ग्रुप भी मिलता है जिससे व्यक्ति जरुरत पड़ने पर सहायता ले सकता है। इसके साथ ही व्यक्ति का री-हैब सेंटर भी इसमें सहायता करता है इसलिये व्यक्ति को री-हैब सेंटर से संपर्क में रहना चाहिये। 

निदान नशा मुक्ति केंद्र :- हमारा सेंटर मध्य प्रदेश के सबसे अच्छा सेंटर है यहां पर मरीज की पूरी रिकवरी पर ध्यान दिया जाता है तथा रिकवरी के बाद भी हमारा सेंटर मदद के लिये और परामर्श के लिये पूरी तरह से उप्लब्ध रहता है। रिकवरी की राह में आने वाली सारी कठिनाईयों से निपने के लिये हमारा सेंटर की टीम रिकवरी में आने वाले प्रत्येक मेम्बर के लिये हमेशा तैयार रहती है।   

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