नशा मुक्ति केंद्र में इलाज
एडिक्शन की समस्या को पहचानना ज्यादा मुश्किल काम नहीं, कोई भी व्यक्ति खुद या उसके घर-परिवार का कोई सदस्य ये बात आसानी से समझ सकता है कि व्यक्ति शराब, गांजे या और अन्य मादक वस्तु का आदि हो चुका है। इसके आगे हम बात करेंगे नशा मुक्ति केंद्र में इलाज क्यों सहा.क होता है और नशा मुक्ति केंद्र में इलाज की क्या प्रक्रिया है। एडिक्शन किसी भी मादक वस्तु का क्यों न हो, देर-सवेर इसका पता चल ही जाता है। पर इस समस्या की पहचान होने के बाद, व्यक्ति या उसके परिवार वाले क्या कदम उठाते हैं यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। आमतौर पे ये कदम देरी से ही उठाये जाते हैं। अक्सर ये कदम तब उठाया जाता है जब सेहत पर कुछ गंभीर असर हो जाता है, नशे के कारण कोई दुर्घटना हो जाती है, घर-परिवार में क्लेश हद से ज्यादा बढ़ जाता है या व्यक्ति की प्रोफेशनल जीवन में नशे की वजह से कोई बड़ी बाधा आ जाती है। ऐसे कई कारण हो सकते हैं।
यहां मैं आपको बताना चाहुँगा की ज्यादातर एडिक्ट सबसे पहले तो ये बात खुद स्वीकार करने में देरी करते हैं की वो इस मादक वस्तु के गुलाम हो चुके हैं और उन्हें मदद की जरुरत है। इसके बाद जो स्वीकार कर लेते हैं तो वो इस आदत को छोड़ने की कोशिश भी करते हैं। पर ये कोशिश कभी-कभार ही ईमानदार रहती है। व्यक्ति शराब पीना या ड्रग्स लेना छोड़ देता है, पर ये ज्यादा दिन तक नहीं चलता है। ऐसा मान लीजिये ऐसा तब तक चलता है जब तक जो समस्या नशे की वजह से हो रही थी जैसे सेहत संबंधी, घर में क्लेश, व्यपार-नौकरी में परेशानी नार्मल नहीं हो जाती। जब चीजें वापस पटरी पर लौटने लगती हैं व्यक्ति की इच्छाशक्ति और प्रयास धुँधला हो जाता है, और उसका झुकाव वापस नशे की तरफ हो जाता है। एक नॉन-एडिक्ट व्यक्ति के लिये किसी मादक वस्तु को पूरी तरह छोड़ना आसान होता है क्योंकि उसने अभी एडिक्ट होने की सीमा नहीं लांघी होती, पर एक एडिक्ट व्यक्ति के लिये ये बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस परिस्थिति में आने के बाद शारिरिक और मानसिक तलब इतनी तेज हो जाती है कि पूरी तरह से परहेज बहुत मुश्किल हो जाता है।
यहीं व्यक्ति को नशा मुक्ति केंद्र में इलाज की जरुरत होती है, पहली बात तो ये है कि किसी भी व्यक्ति को या उसके घरवालों एडिक्शन की समस्या की पहचान होते ही नशा मुक्ति केंद्र की सहायता लेनी चाहिये। जितना पहले आप सहायता लेंगे उतना ही कम समय और परिश्रम व्यक्ति के उपचार में लगेगा।
नशा मुक्ति केंद्र में इलाज से सर्वप्रथम तो व्यक्ति को मादक वस्तु के सेवन से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाता है। नशा मुक्ति केंद्र में इलाज का यह चरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि नशा छोड़ते समय व्यक्ति को तरह-तरह की शारिरिक समस्याओं जैसे नींद न आना, भूख न लगना, सिरदर्द, बदन दर्द आदि का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि नशे के कारण व्यक्ति का शरीर को उस नशे की वस्तु पर निर्भर हो गया होता है। ऐसे में नय़ा मुक्ति के इस क्षेत्र में अनुभवी चिकित्सक आपको इन तकलीफों से आराम के लिये दवाऐं देते हैं जिससे नशे को एकदम से छोड़ पाना थोड़ा आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त जब व्यक्ति नशा मुक्ति केंद्र में इलाज ले रहा होता है तो उसका केंद्र से बाहर जाना बंद रहता है और व्यक्ति नशे के प्रलोभन से बचा रहता है। इसी तरह से व्यक्ति विथड्रॉवल का समय ज्यादा आसानी से काट लेता है।
नशा मुक्ति केंद्र की थैरेपी में जब व्यक्ति आता है तो उसे नशा मुक्ति केंद्र में अपना कोर्स खत्म करने के बाद बाहर की दुनिया में कैसे रहना है उसकी पूरी गाइडेंस और मदद दी जाती है, जहाँ कदम-कदम पर नशे का प्रलोभन, परेशानीयाँ, नशे का आकर्षण आदि सभी चीजें मौजूद होती हैं। इसके साथ कभी-कभी नशा मुक्ति केंद्र में मरीज को जबरदस्ती भी भेजा जाता है क्योंकि कुई बार एडिक्ट नशे में अपने आपे में नहीं रह पाता और अनियंत्रित हो जाता है। ऐसे समय उसका बिना देख-रेख के रहना उसके खुद के लिये भी और दुसरों के लिये भी खतरे का कारण बन सकता है।
नशा मुक्ति केंद्र में इलाज लेते हुऐ केंद्र का वातावरण व केंद्र के स्टाफ का पेशंट के इलाज के नतीजों पर गहरा प्रभाव होता है। स्टाफ के मेम्बरों का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिये कि वो इलाज ले रहे व्यक्ति को सोबर रहने के लिये प्ररित कर सके। इसके साथ ही केंद्र का वातावरण भी कुछ इस प्रकार का होना चाहिये कि सारे व्यक्ति जो इलाज ले रहे हैं उनमें समानता का भाव रहे क्योंकि सभी लोग अलग-अलग पृष्ठभूमि के होते हैं व सबकी आर्थिक स्थिति भी एक समान नहीं होती। केंद्र का वातावरण ऐसा होना चाहिये कि केंद के अंदर कोई भी व्यक्ति किसी दुसरे को नुक्सान न पहुँचा सके और न ही नकारात्मकता फैला सके।
इसके बाद अगला अहम् योगदान होता है केंद्र के प्रबंधन और परामर्शदाताओं (काउंसलर) का, जहाँ प्रबंधन जिम्मेदार होता है इलाज के दौरान प्रदान करी जाने वाली सुख-सुविधाओं का और केंद्र में एक सकारात्मक वातावरण बनाये रखने का वहीं काउंसलर का कार्य होता है कि इलाज ले रहे व्यक्ति को निजी स्तर पर समझे और एडिक्शन की समस्या को खत्म करने के लिये व्यक्ति के हिसाब से खाका तैयार करे और व्यक्ति के अंदर सकारात्मक बदलाव लाये।
नशा मुक्ति केंद्र का एक महत्वपूर्ण पहलू, चिकित्सा के बाद सहासता प्रदान करने का भी है। इससे रिकवर व्यक्ति को सोबर रहते हुऐ असली दुनिया में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है। एक एडिक्ट के स्वभाव में होता है कि परेशानी का दौर आने पर वह नशे की और झुकता है ऐसे समय में यदि व्यक्ति केंद्र की मदद लेता है तो वो दोबारा नशे की गिरफ्त में आने से बच सकता है। इसके साथ ही काउंसलर और परिवार के सदस्यों को मिलकर काम करना चाहिये ताकी इलाज का परिणाम और बेहतर हो सके।
नशा मुक्ति केंद्र में इलाज लेते समय व्यक्ति को या परिवार वालों को अपने हिसाब से एक अच्छा प्रतिष्ठित केंद्र का चुनाव करना चाहिये।